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Rajiv Ranjan
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सोमवार, 27 सितंबर 2010
लहरें
उठती हुई लहरें
टकरतीं दुर्दम चट्टनों से,
गिरतीं- उठतीं
और फिर
गिरकर उठतीं
पछड़ें खतीं
छोड़ जाती हैं
चिह्न
कठोर शिलाओं पर अपने
उठने- गिरने और
गिरकर फिर उठने की.
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